प्रस्तुत पुस्तक की रचना का उद्देश्य शैक्षणिक पुस्तकालयों के सभी पक्षों को स्पष्ट करना है जिससे पाठक शैक्षणिक पुस्तकालयों के सम्बन्ध में अपना ज्ञानवर्द्धन कर सकें । इस कृति की समस्त विषयवस्तु को 17 अध्यायों में विभक्त किया गया है।
प्रथम अध्याय में पुस्तकालय का परिचय, उद्देश्य एवं कार्यों आदि की विवेचना की गई है। द्वितीय अध्याय में आधुनिक समाज में पुस्तकालयों की भूमिका की विवेचना की गई है। तृतीय अध्याय में पुस्तकालयों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं विकास की चर्चा प्रस्तुत की गई है। चतुर्थ अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालय एवं उनका विकास, पाँचवे अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालयों के विकास हेतु विभिन्न समितियों एवं आयोगों की संस्तुतियों की विवेचना, छठवें अध्याय में उच्च शिक्षा से सम्बन्धित संस्थाओं के उन्नयन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की भूमिका, सातवें अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालयों के प्रबन्धन की विवेचना, आठवें अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालयों में संग्रह विकास के विभिन्न पहलुओं की विवेचना की गई है। नवें अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालयों के वित्तीय प्रबन्ध की विवेचना, दसवें अध्याय में पुस्तकालय भवन एवं उपकरण, ग्यारहवें अध्याय में पुस्तकालय प्राधिकरण एवं पुस्तकालय समिति, बारहवें अध्याय में कर्मचारी प्रबन्धन, तेरहवें अध्याय में पुस्तकालय एवं सूचना सेवाओं को विवेचित किया गया है। चौदहवें अध्याय में दूरस्थ शिक्षा एवं शैक्षणिक पुस्तकालय, पन्द्रहवें अध्याय में संसाधन सहभागिता कार्यक्रम एवं नेटवर्किंग, सोलहवें अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालयों में सूचना प्रौद्योगिकी : कम्प्यूटर का अनुप्रयोग तथा सत्रहवें अध्याय में शैक्षणिक पुस्तकालयों में सम्बन्धित प्रमुख अभिलेखों की विवेचना की गई है।
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